खन खनाती चूड़ियों में
साज है श्रृंगार है
बज रही पायल जहा पर
सुर अपरम्पार है
आंख में लज्जा पानी
बिंदिया लगती सुहानी
स्वर जब कोमल मधुर हो
स्वर्ग यह संसार हैं
लज्जा का आभूषण करुणा के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज ह्रदय मे वत्सलता गुणीयों का रत्न नियति भी लिखती है न बिकती हर चीज
सच मीठी वाणी का कोई मोल नहीं।
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति