रविवार, 25 जून 2023

साज और श्रृंगार है

खन खनाती चूड़ियों  में 
 साज  है श्रृंगार  है 
बज  रही  पायल जहा  पर 
सुर  अपरम्पार  है 
 आंख में  लज्जा  पानी
 बिंदिया  लगती  सुहानी 
स्वर जब  कोमल मधुर  हो  
स्वर्ग यह  संसार  हैं 

1 टिप्पणी:

न बिकती हर चीज

लज्जा का आभूषण करुणा  के बीज कौशल्या सी नारी तिथियों मे तीज  ह्रदय मे वत्सलता  गुणीयों का रत्न   नियति भी लिखती है  न बिकती हर चीज